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शरद पूर्णिमा 2023: चंद्र ग्रहण से पहले खीर के भोग के महत्वपूर्ण नियम जान लें।

Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा जो शनिवार 28 अक्टूबर,यानि आज है और यह पूर्णिमा 29 सितंबर को समाप्त होगी, विष्णु भगवान की पूजा और अर्चना के लिए समर्पित होती है। हिन्दू धर्म में इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और इसका विशेष महत्व होता है।

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। विशेष रूप से आश्विन माह में पड़ने वाली शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमा तिथियों में सर्वोत्तम मानी जाती है। इस पूर्णिमा को खीर को चांदनी रात में रखकर मां लक्ष्मी के सामने चढ़ाया जाता है। हालांकि, इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी हो रहा है, इसलिए लक्ष्मी माता को खीर का भोग चढ़ाने से पहले निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:

शुभ मुहूर्त: चंद्र ग्रहण के समय खीर का भोग न लगाएं, इसके बजाय चंद्र ग्रहण के बाद किसी शुभ मुहूर्त में खीर का भोग लगाएं।

शुद्धता: खीर बने के लिए उपयोग किए जाने वाले सारे सामग्री को अच्छी तरह से धोएं और शुद्ध कपड़े से साफ़ करें।

मन से: खीर बनाते समय मन को शुद्ध और शान्त रखें। यह खीर को और भी सात्विक बनाएगा और इसका भोग भगवान लक्ष्मी को अधिक प्रिय होगा।

स्वच्छता: खीर को बनाने से पहले हाथों को धोना आवश्यक है। सभी बर्तन और आवश्यक सामग्री को भी अच्छी तरह से धो लें।

सावधानीपूर्वक व्रत करें: खीर का व्रत निर्विघ्नक बनाने के लिए यदि आप व्रत कर रहे हैं, तो इसे सावधानी से करें। व्रत के दौरान सभी नियमों का पालन करें और मन, वचन, और क्रिया से पवित्र भावना बनाए रखें।

आदर्श परंपराएँ: खीर को एक बर्तन मे जमा करके रखें। इसे तब तक न छुएं जब चंद्र ग्रहण का समापन न हो जाए।

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

लक्ष्मी माता की पूजा के साथ ही अनेक लोग भगवान शिव की पूजा भी करते हैं, जिसे नीलकंठ जयंती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव की प्रतिमा को दूध और बेलपत्र से स्नान कराया जाता है, और उन्हें बिल्वपत्र से पूजा जाता है।

इस दिन को खास तौर पर खीर की बनाई जाती है, जिसे चांदनी रात के समय खा सकते हैं। यह खीर मां लक्ष्मी के भोग के रूप में प्रयुक्त होती है और विशेषत: सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए खाई जाती है।

चंद्र ग्रहण के समय ज्यादा खानपान से बचें और अपनी ध्यान को पूजा और आध्यात्मिक गतिविधियों पर केंद्रित रखें। यह दिन अपने आत्मा के शुद्धि और स्वास्थ्य के लिए भी एक अच्छा मौका होता है.

शरद पूर्णिमा के दिन अपने परिवार और प्रियजनों के साथ समय बिताएं और एक-दूसरे के साथ आपसी प्यार और समर्पण का संकल्प लें। यह दिन संबंधों को मजबूत और मीठा बनाने के लिए एक अच्छा अवसर होता है.

आखिर में, शरद पूर्णिमा का महत्व यह है कि यह एक आध्यात्मिक और पारंपरिक महोत्सव है जो हमें हमारे धार्मिक और सांस्कृतऔर विरासत के मूल्यों को याद दिलाता है। यह एक ऐसा समय है जब हम हमारे परम्परागत भारतीय मूल्यों और धार्मिक अद्यतन को अपने जीवन में समाहित कर सकते हैं।

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा तिथि को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र ऐसा दिन है जब चन्द्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। शरद पूर्णिमा के दिन पारम्परिक रूप से दूध और चावल की खीर बनाई जाती है और उसे पूरी रात के लिए चांदनी में रखा जाता है। ऐसा करने से उस खीर में चन्द्रमा के औषधीय व दैवीय गुण आ जाते हैं, जो व्यक्ति के लिए बहुत-ही लाभकारी सिद्ध होते हैं

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा तिथि को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र ऐसा दिन है जब चन्द्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। शरद पूर्णिमा के दिन पारम्परिक रूप से दूध और चावल की खीर बनाई जाती है और उसे पूरी रात के लिए चांदनी में रखा जाता है। ऐसा करने से उस खीर में चन्द्रमा के औषधीय व दैवीय गुण आ जाते हैं, जो व्यक्ति के लिए बहुत-ही लाभकारी सिद्ध होते हैं।

खीर का भोग लगाने के नियम

चंद्रमा की चांदनी में आप खीर की थाली को बाहर रखकर आसमान की ओर देखें, चंद्रमा को नमस्कार करें, और उसे अपने बच्चों और परिवार के साथ देखने के लिए कहें। यह एक आदर्श तरीका है चंद्रमा की पूजा करने का, जिससे आप उसकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगने जा रहा है, और इसी समय शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग लगाने के नियम विशेष ध्यान देने योग्य हैं। खीर को चंदनी में रखने का महत्वपूर्ण तरीका भी है।

खीर का भोग बच्चों के साथ: शरद पूर्णिमा की रात खीर का भोग आपके परिवार के साथ होना चाहिए, खासकर आपके बच्चों के साथ। यह परिवार के मध्यम से सद्गुण संचयन का अवसर प्रदान करता है और बच्चों को समर्पण की भावना सिखाता है।

भगवान विष्णु की पूजा: शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। विष्णु पूजन से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है और आपको सुख-संपत्ति प्राप्त हो सकती है।

अलखनंदा का नाम: खीर का भोग लगाते समय आपको अपने परिवार के सदस्यों का नाम भी एक-एक करके उच्चारण करना चाहिए, ताकि आपके परिवार के सभी सदस्य लंबी आयु और खुशी-खुशी जीवन बिता सकें।

इन नियमों का पालन करके आप शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग लगा सकते हैं और चंद्र ग्रहण के समय भी इसका उपभोग कर सकते हैं, जिससे आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और सांत्वना बनी रहे। यह एक आध्यात्मिक और परंपरागत तरीका है जिससे आप अपने परिवार के साथ आदर्श तरीके से इस धार्मिक उत्सव का आनंद उठा सकते हैं।

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