कार्तिक पूर्णिमा 2023 (Karthik Purnima 2023): कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान व दान करने से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को साल की सभी पूर्णिमाओं में सबसे पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को भी समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने पर इनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति को कभी भी आर्थिक तंगी नहीं झेलनी पड़ती है। इसी कड़ी में चलिए जानते हैं पूर्णिमा की पूजा विधि और महत्व…
पूजन विधि
- सुबह उठते ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करें।
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है।
- यदि पवित्र नदी में स्नान नहीं किया जा सकता, तो नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें।
- नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें।
- भगवान विष्णु को भोग लगाएं और इसमें तुलसी को भी शामिल करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
- पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा करें।
पूर्णिमा के स्नान और दान का महत्व
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन, कुशा स्नान और दान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- इस मौके पर, गरीब और जरुरतमंद लोगों की सहायता करें और विभिन्न आदन-प्रदान को ध्यान में रखें।
- मौसमी फल, उड़द की काली दाल, चावल आदि का दान करके अन्यों की आजीविका में सहायक हों।
- किसी भूखे को भोजन करवाना इस दिन का एक उत्कृष्ट तरीका है।
- इस पूर्णिमा के दिन, दान करके समाज में सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा दें और अपने कार्यों से एक सजीव उदाहरण स्थापित करें।
निष्कर्ष
कार्तिक पूर्णिमा 2023 ने लोगो को सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्धि और शुभकामनाओं से भरपूर एक अद्भुत दिन दिया है। स्नान, दान, और पूजा के माध्यम से लोग इस महत्वपूर्ण पर्व को आत्मिक और सामाजिक समृद्धि का अवसर बनाया। इस खास मौके पर, समाज में सहयोग और प्रेम के बढ़ते बीज बोकर, लोगो ने एक सजीव और सजीव विचारशील समाज की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस पूर्णिमा ने लोगो को सद्गुण से भरपूर जीवन की ओर प्रेरित किया है।