Kali Chaudas Puja 2023: प्रत्येक वर्ष, कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी जो इस बार 11 नवंबर 2023 दिन शनिवार को है। इस दिन काली मां को समर्पित होता है और विशेष रूप से माता काली की पूजा अर्चना की जाती है। काली चौदस को रूप चौदस या नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल में, काली चौदस को माता काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की पूजा करने और दीपक जलाने से व्यक्ति तमाम तरह की परेशानियों और पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। पहले दिवाली के अगले दिन, रूप चौदस को घर के विभिन्न हिस्सों में यमराज के लिए दीपक जलाए जाते हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं को शांति मिलती है। इस दिन दीपक जलाने के लिए तिल का उपयोग करना चाहिए।
काली चौदस का महत्व
काली चौदस के दिन, रात्रि में मां काली की उपासना करने से साधक को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मान्यता है कि काली चौदस पर काली पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है। जो साधक तंत्र साधना करते हैं, काली चौदस के दिन महाकाली की साधना को अधिक प्रभावशाली मानते हैं।
पूजन सामग्री
काली चौदस की पूजा में अगरबत्ती, धूप, फूल, काली उडद दाल, गंगा जल, हल्दी, हवन सामग्री, कलश, कपूर, कुमकुम, नारियल, देशी घी, चावल, सुपारी, शंख, पूर्णपतत्र, निरंजन, लकड़ी जलाने के लिए माचिस, गुड़, लाल, पीले रंग रंगोली के लिए, रुई, आदि सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है।
काली चौदस की पूजन विधि:
- स्नान:
- पूजा प्रारम्भ से पहले स्नान करना चाहिए।
- मान्यता है कि इससे व्यक्ति नरक से बचता है।
- पूजा प्रारम्भ:
- स्नान के बाद, शरीर पर परफ्यूम लगाएं और पूजा प्रारम्भ प्रारम्भ के लिए बैठें।
- मां काली की मूर्ति स्थापना:
- पूजा में मां काली की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें।
- दीप जलाना:
- मूर्ति स्थापना के बाद, दीप जलाएं।
- चढ़ावा:
- हल्दी, कुमकुम, कपूर, और नारियल का चढ़ावा मां काली पर चढ़ाये।