Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजा एक महत्त्वपूर्ण हिंदू धार्मिक त्योहार है, जो हर साल दीवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह पूजा भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से जुडी है और इसे विशेष उपवास और पूजा के साथ मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की विधि
इस दिन, प्रात: काल शरीर पर तेल मालिश करके स्नान करना एक प्राचीन परंपरा है। सुबह समय पर उठकर, पूजा सामग्री के साथ पूजा स्थल पर बैठें और अपने कुल देवता एवं देवी का ध्यान करें। गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए, श्रद्धापूर्वक गाय के गोबर से उसकी आकृति बनाएं। यह पुरुष की आकृति में बनाया जाता है, और उसे गोवर्धन की रूपरेखा में सजाया जाता है, जिसमें फूल, पत्तियाँ, टहनियाँ और गाय की आकृतियाँ शामिल होती हैं।
इस आकृति में, भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को नाभि स्थान पर रखा जाता है और उसके चारों ओर एक कटोरा बनाया जाता है। उस कटोरे में एक दीपक रखा जाता है, जिसमें दूध, दही, गंगाजल, मधु, और बटासा आदि डालकर पूजा की जाती है। फिर इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
परंपरा और कथा
गोवर्धन पूजा का मूल कारण है भगवान कृष्ण की लीला की एक घटना है। उन्होंने गोकुल के लोगों को संसार के प्राकृतिक प्रलय से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी अँगुली पर उठाया था, जिससे उनकी भक्ति और शक्ति का प्रदर्शन हुआ था। यह पर्वत उनके अनुयायियों को संरक्षण प्रदान करता था
उत्सव और महत्त्व
गोवर्धन पूजा के दिन घरों में पूजा का आयोजन होता है और भक्तों ने धरती माता की सुरक्षा के लिए इस पर्वत का भक्ति से पूजन किया जाता है। यह पूजा भगवान कृष्ण की भक्ति और विश्वास को दर्शाती है।इस त्योहार में समाज में एकता, समरसता और प्रेम का संदेश दिया जाता है। गोवर्धन पूजा का उत्सव भगवान कृष्ण की अनुयायियों के बीच सद्भाव का प्रतीक है।
गोवर्धन पूजा एक संस्कृति और परंपराओं से भरा हुआ है जो हमारे धार्मिक और सामाजिक मूल्यों को दर्शाता है। यह एक उत्सव है जो भगवान श्रीकृष्ण की अनुयायियों की विश्वास यात्रा को याद दिलाता है और समर्थन करता है।