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द्विधर्मी विकार (Bipolar Disorder): कारण, प्रकार और उपचार

Bipolar Disorder: आजकल की जीवनशैली में, मानसिक स्वास्थ्य विकार एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गए हैं, और उनमें से एक है द्विधर्मी विकार, जिसे बाइपोलर विकार के रूप में भी जाना जाता है। एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति की मानसिक स्थिति और भावनाओं में आवरण होता है। यह स्थिति अचानक मनिया और डिप्रेशन के बीच प्रतिस्थित अवस्था का एक नमूना प्रस्तुत करता है, जिसमें व्यक्ति एक ही समय में उत्साहित और निराश हो सकता है। इस लेख में हम बाइपोलर विकार के कारण, प्रकार और उपचार के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

बाइपोलर विकार का कारण

बाइपोलर विकार के कारण कई हो सकते हैं, लेकिन इनमें कुछ मुख्य हैं जो इस स्थिति का कारण बन सकते हैं:

  1. आनुवांशिक कारण: आनुवांशिकता बाइपोलर विकार का मुख्य कारण मानी जाती है। यदि किसी परिवार में इस विकार के मरीज होते हैं, तो उनके आसपास के लोगों की भी इसे होने की संभावना बढ़ जाती है।
  2. आत्महत्या या अत्यंत तनाव: अधिक तनाव और दुख भरी घटनाएं भी बाइपोलर विकार का कारण बन सकती हैं। यह विकार उन लोगों में आम तोड़फोड़ और आत्महत्या का प्रयास देखने को मिलता है जो अत्यधिक तनाव और चिंता के चलते गुजर रहे होते हैं।
  3. नशा और शराब: मादक पदार्थों का सेवन और अत्यधिक शराब पीने के कारण भी बाइपोलर विकार हो सकता है। इससे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया जा सकता है.
  4. उत्पीड़ना और शोषण: किसी के जीवन में उत्पीड़ना और शोषण का सामना करने के बाद, व्यक्ति मानसिक तौर पर अत्यधिक दुख और तनाव में आ सकता है, जो बाइपोलर विकार को बढ़ा सकता है।

बाइपोलर विकार के प्रकार

बाइपोलर विकार के कई प्रकार होते हैं, प्रमुख रूप से बाइपोलर I और बाइपोलर II।

बाइपोलर I: इस प्रकार के बाइपोलर विकार में व्यक्ति के मनिया के दौर के बाद गंभीर डिप्रेशन के दौर का अनुभव होता है। मनिया के दौर में उनकी भावनाएं उच्छासित होती हैं और वे अत्यधिक उत्साहित होते हैं।

बाइपोलर II: इस प्रकार के बाइपोलर विकार में मनिया की अबसान होती है, लेकिन हाइपमैनिया की अवस्था हो सकती है, जिसमें व्यक्ति का मूड उत्साहित रहता है। डिप्रेशन के दौर में व्यक्ति उदास होता है।

बाइपोलर विकार का उपचार

बाइपोलर विकार का उपचार व्यक्ति के लक्षणों, गंभीरता, और उम्र के हिसाब से भिन्न हो सकता है। उपचार का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना और उनको स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना होता है। यहां कुछ मुख्य बाइपोलर विकार के उपचार के तरीके हैं:

  1. दवाइयाँ (मूढ़ानुकूलक दवाएँ): बाइपोलर विकार के उपचार में दवाइयाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यहां उपयुक्त दवाइयों की उपयोगिता का तय करने के लिए रोगी के लक्षणों और विकार के प्रकार को विचारणीय है। डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जाने वाली दवाओं का सही तरीके से पालन करना आवश्यक होता है।
  2. पैमेंट थेरेपी: इसे सामाजिक उपचार भी कहा जाता है, और इसका उद्देश्य रोगी को उनके विचारों, भावनाओं और व्यवहार को समझने में मदद करना होता है। यह उन्हें स्वाधीनता और सामाजिक संबंधों में सुधार करने की क्षमता प्रदान करता है।
  3. व्यायाम और आराम: योग और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान आदि के तंत्र का पालन करने से रोगियों को आराम मिलता है, जो उनकी मानसिक स्थिति को सुधार सकता है।
  4. उचित आहार: स्वस्थ आहार का सेवन करना भी मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है।
  5. समर्थन समूह: बाइपोलर विकार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए समर्थन समूहों का समर्थन महत्वपूर्ण होता है। इससे उन्हें अपनी समस्याओं को साझा करने और समझने का मौका मिलता है।

इसके अलावा, परिवार और साझेदारों का समर्थन भी महत्वपूर्ण होता है। मरीज को समर्थन, समझदारी, और प्रेम की आवश्यकता होती है।

बाइपोलर विकार के फायदे और नुकसान

फायदे (Advantages):

रोमांचक दृष्टिकोण: कुछ लोग मानते हैं कि बाइपोलर व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं के साथ अधिक जुड़े होते हैं, और इससे उनका जीवन रोमांचक हो सकता है।

आदर्श कल्पना और विचारशीलता: बाइपोलर व्यक्ति कई वेब डिज़ाइन, कला, साहित्य आदि क्षेत्रों में आदर्श कल्पना और विचारशीलता का बढ़िया उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।

सोचने की अलग दृष्टि: बाइपोलर व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं से आदर्श रूप से उनकी सोच और दृष्टि परिवर्तित होती है, जिससे वे दुनिया को अलग और विचित्र तरीके से देखते हैं।

ऊँचा साहस और उत्साह: बाइपोलर व्यक्ति के दैनिक चरण में उनमें अधिक साहस और उत्साह होता है, जिससे वे नए और आद्रितानुसार कार्यों की ओर बढ़ते हैं।

नुकसान (Disadvantages):

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ: बाइपोलर विकार वाले व्यक्तियों को अक्सर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि डिप्रेशन और मानिया।

समाज में स्वामित्व की कमी: कुछ लोग अपने अविनयमित दृष्टिकोण के कारण समाज में स्वामित्व की कमी महसूस करते हैं, जिससे वे संज्ञान में रहने में कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।

सम्बंधों की समस्याएँ: बाइपोलर विकार वाले व्यक्तियों के संबंधों में समस्याएँ हो सकती हैं, क्योंकि उनके अविनयमित दृष्टिकोण के कारण वे संबंधों को संभालने में कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।

सेल्फ-केयर की अभाव: बाइपोलर व्यक्ति अक्सर सेल्फ-केयर की गहरी जरुरत होती है, लेकिन कई बार वे इसे नजरअंदाज करते हैं या उसे अनियंत्रित रूप में करते हैं। इससे उनके रोग का प्रबंधन बिगड़ सकता है और स्वास्थ्य स्थिति में सुधार आने में देर हो सकती है।

बाइपोलर विकार एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, लेकिन उचित उपचार और समर्थन के साथ, लोग इस समस्या का सामना कर सकते हैं और स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी सकते है

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